मथुरा स्थित KD Hospital ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल में आयोजित एक विशेष चिकित्सा शिविर के दौरान, मात्र कुछ ही दिनों में 200 से अधिक मोतियाबिंद (Cataract) के मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है। यह उपलब्धि न केवल अस्पताल की उच्च-स्तरीय चिकित्सा सेवाओं को दर्शाती है, बल्कि दूर-दराज के नेत्र रोगियों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनकी आँखों की रोशनी मोतियाबिंद के कारण प्रभावित हो चुकी थी।

इस सफल ऑपरेशन अभियान को अस्पताल की अनुभवी और विशेषज्ञ नेत्र सर्जन की टीम ने अंजाम दिया। ऑपरेशनों के लिए केडी अस्पताल के अत्याधुनिक आई-केयर यूनिट (Eye-Care Unit) का उपयोग किया गया, जिसमें विश्व स्तरीय फेकोइमल्सीफिकेशन (Phacoemulsification) तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले इंट्राओकुलर लेंस (IOL) का प्रयोग किया गया।
Pulmonology Image

अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि इन 200 से अधिक ऑपरेशनों में, ऐसे कई जटिल मामले शामिल थे जहाँ मरीज लंबे समय से मोतियाबिंद से पीड़ित थे। सफल सर्जरी के बाद, इन सभी मरीजों को अपनी आँखों की रोशनी वापस पाने की खुशी मिली है।

इस विशेष शिविर का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण क्षेत्रों के उन लोगों तक सस्ती और गुणवत्तापूर्ण नेत्र चिकित्सा पहुंचाना था, जो अक्सर महंगे इलाज के कारण मोतियाबिंद की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं।

Eye Care in Mathura

ऑपरेशन की सफलता दर अत्यंत उच्च रही है, जिससे मरीजों को न केवल दृष्टि मिली, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आया। ऑपरेशन के बाद मरीजों ने अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और प्रबंधन के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद के कारण वे दैनिक कार्य करने में भी असमर्थ हो गए थे, लेकिन सफल सर्जरी के बाद वे अब पूरी तरह से स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं। केडी अस्पताल ने इस शिविर के माध्यम से मथुरा और आसपास के क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

 

केडी अस्पताल के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल ने इस उपलब्धि पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अस्पताल भविष्य में भी इसी तरह के स्वास्थ्य शिविर आयोजित करता रहेगा, ताकि समाज के हर वर्ग को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद सभी मरीजों को डॉक्टर द्वारा निर्देशित आवश्यक दवाइयां और देखभाल के निर्देश दिए गए हैं। यह अभियान दिखाता है कि सही तकनीक और कुशल हाथों से बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

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